निदेशक
श्री हरीश कुमार गोयल:
हरीश कुमार गोयल का जन्म 1970 में गाजियाबाद महानगर के निकटवर्ती कस्बे फारुख नगर में हुआ था। उनके पिता गाजियाबाद के प्रतिष्ठित अधिवक्ता हैं और माता गृहिणी हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाजियाबाद से प्राप्त की तथा मेरठ विश्वविद्यालय से बी.एस.सी. एवं एल.एल.बी. की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने गाजियाबाद जिला न्यायालय में वकालत शुरू की और जल्द ही गाजियाबाद में दीवानी मामलों के अग्रणी अधिवक्ताओं में से एक बन गए। वकालत के दौरान उन्होंने महसूस किया कि गरीब, वंचित, पिछड़े वर्ग और महिलाएं न्याय पाने से वंचित हैं तथा मुख्य रूप से वकीलों की बार-बार हड़ताल, वकीलों और न्यायाधीशों की ओर से व्यावसायिकता की कमी के कारण मामलों में देरी होती है। उन्होंने व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए ईमानदारी से प्रयास किए, जो न्यायिक सेवा में आने के बाद भी जारी है। वर्ष 2008 में उन्होंने मध्य प्रदेश उच्चतर न्यायिक सेवा (एचजेएस) और उत्तराखंड उच्चतर न्यायिक सेवा परीक्षा में क्रमश: दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त किया। जनता को समय पर न्याय दिलाने के दृढ़ संकल्प के साथ उन्होंने 30 अगस्त 2008 को हरिद्वार (उत्तराखंड) में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद पर सेवा ग्रहण की। इसके साथ ही उन्हें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम के विशेष न्यायाधीश, नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) के विशेष न्यायाधीश और गैंगस्टर एक्ट के विशेष न्यायाधीश का अतिरिक्त दायित्व भी सौंपा गया। वर्ष 2010 से 2012 के दौरान उन्हें उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के विधि सचिव का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया।
न्यायाधीश के रूप में कार्य करते हुए अपनी शैक्षणिक रुचि को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने एलएलएम किया। उन्होंने 2012 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एम.डी. की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने 2012 से 2015 तक अल्मोड़ा के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश और 2015 से 2016 तक देहरादून के प्रथम अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में कार्य किया है। वे 2016 से 2017 तक और 16 नवंबर 2022 से 15 अप्रैल 2023 तक दो बार प्रधान न्यायाधीश, पारिवारिक न्यायालय, देहरादून रह चुके हैं। पारिवारिक न्यायाधीश के रूप में उन्होंने मध्यस्थता, परामर्श और आपसी समझौते के माध्यम से विवाद को निपटाना पसंद किया।
2017 से 2021 तक जिला एवं सत्र न्यायाधीश, रुद्रप्रयाग के रूप में कार्य किया और साथ ही जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम, रुद्रप्रयाग के अध्यक्ष की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी निभाई। 16 अप्रैल 2021 से 16 नवंबर 2022 तक उन्होंने उत्तराखंड वाणिज्यिक कर न्यायाधिकरण के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वर्तमान में वे उत्तराखंड न्यायिक एवं विधिक अकादमी, भोवाल (नैनीताल) के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं, जो न्यायाधीशों एवं न्याय प्रणाली के अन्य हितधारकों की प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करता है। श्री गोयल एक बहुमुखी कवि एवं लेखक हैं। कोरोना महामारी के कारण 22 मार्च, 2020 से देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान जब न्यायिक कार्य बाधित हुआ, तो उन्होंने अपने खाली समय का उपयोग पुस्तक लिखने में करने का निर्णय लिया। महिला कानून एवं सशक्तिकरण। उत्तराखंड काश्तकारी अधिनियम, 2021 उनकी लिखी दूसरी पुस्तक है।